क्यों ज़रूरी है ईंटर्नशिप (Why Internship Is Necessary?)
कोई भी नौकरी जॉइन करने से पहले आख़िर क्यों इंटर्नशिप की जाती है? क्या कभी आपने इस बारे में सोचा है? नहीं..? चलिए, हम आपको बताते हैं कि आख़िर क्यों करियर की शुरुआत करने से पहले इंटर्नशिप ज़रूरी होती है.
सोशल स्किल
कॉलेज की लाइफ और नौकरीपेशा जीवन में बहुत अंतर होता है. कॉलेज स्टूडेंट जब नौकरी करना शुरू करते हैं, तो उनमें बहुत-सी चीज़ों की आवश्यकता होती है. सबसे पहले जिस चीज़ की ज़रूरत होती है, वो है सोशल स्किल. सोशल स्किल ही आपको वर्कप्लेस पर कामयाब बनाती है. इंटर्नशिप के दौरान स्टूडेंट बाकी सहकर्मियों के साथ काम करते हुए इसे डेवेलप करते हैं, जो उन्हें आगे बहुत काम आता है. इंटर्नशिप के दौरान वो सीख जाते हैं कि आख़िर ऑफिस के माहौल में ख़ुद को किस तरह एडजस्ट करना है. एक इंटर्न के लिए अच्छी सोशल स्किल काफ़ी काम आती है. ऑफिस के कलीग्स के साथ दोस्ताना व्यवहार रखना, दूसरे लोगों को ऑब्ज़र्व करना, ऑफिस में लोग एक-दूसरे से कैसे बात करते हैं, जैसी बातें सीखने को मिलती हैं.
कॉलेज की लाइफ और नौकरीपेशा जीवन में बहुत अंतर होता है. कॉलेज स्टूडेंट जब नौकरी करना शुरू करते हैं, तो उनमें बहुत-सी चीज़ों की आवश्यकता होती है. सबसे पहले जिस चीज़ की ज़रूरत होती है, वो है सोशल स्किल. सोशल स्किल ही आपको वर्कप्लेस पर कामयाब बनाती है. इंटर्नशिप के दौरान स्टूडेंट बाकी सहकर्मियों के साथ काम करते हुए इसे डेवेलप करते हैं, जो उन्हें आगे बहुत काम आता है. इंटर्नशिप के दौरान वो सीख जाते हैं कि आख़िर ऑफिस के माहौल में ख़ुद को किस तरह एडजस्ट करना है. एक इंटर्न के लिए अच्छी सोशल स्किल काफ़ी काम आती है. ऑफिस के कलीग्स के साथ दोस्ताना व्यवहार रखना, दूसरे लोगों को ऑब्ज़र्व करना, ऑफिस में लोग एक-दूसरे से कैसे बात करते हैं, जैसी बातें सीखने को मिलती हैं.
प्रैक्टिकल नॉलेज
इंटर्नशिप से काफ़ी कुछ सीखने को मिलता है. इसके ज़रिए आपको प्रैक्टिकल नॉलेज मिलता है. ऑफिस में फोन पर किसी से बात कैसे करनी है, पर्सनल फोन आने पर किस तरह हैंडल करना है, कस्टमर से कैसे डील करना है, ऑफिशियल मेल कैसे भेजना है, जैसी प्रैक्टिकल जानकारी इंटर्नशिप के दौरान मिलती है.
इंटर्नशिप से काफ़ी कुछ सीखने को मिलता है. इसके ज़रिए आपको प्रैक्टिकल नॉलेज मिलता है. ऑफिस में फोन पर किसी से बात कैसे करनी है, पर्सनल फोन आने पर किस तरह हैंडल करना है, कस्टमर से कैसे डील करना है, ऑफिशियल मेल कैसे भेजना है, जैसी प्रैक्टिकल जानकारी इंटर्नशिप के दौरान मिलती है.
टाइमिंग एटीकेट्स
कॉलेज, इंस्टीट्यूट में टाइम की कोई पाबंदी नहीं होती. एक लेक्चर छूट गया, तो दूसरा अटेंड कर लेंगे या दोस्तों से उसके बारे में पूछ लेंगे, लेकिन नौकरी में ऐसा नहीं होता. समय पर आना बहुत ज़रूरी होता है, नहीं तो सैलरी कटने के साथ ही इससे ऑफिस में छवि भी ख़राब होती है. इंटर्नशिप के दौरान आप ऑफिस में सबसे जूनियर होते हैं. हर दिन आपको समय से पहले आना होता है. सीनियर्स का डर आपको समय का पाबंद बना देता है. यही आदत आपको लाइफ में आगे बढ़ने में मदद करती है.
कॉलेज, इंस्टीट्यूट में टाइम की कोई पाबंदी नहीं होती. एक लेक्चर छूट गया, तो दूसरा अटेंड कर लेंगे या दोस्तों से उसके बारे में पूछ लेंगे, लेकिन नौकरी में ऐसा नहीं होता. समय पर आना बहुत ज़रूरी होता है, नहीं तो सैलरी कटने के साथ ही इससे ऑफिस में छवि भी ख़राब होती है. इंटर्नशिप के दौरान आप ऑफिस में सबसे जूनियर होते हैं. हर दिन आपको समय से पहले आना होता है. सीनियर्स का डर आपको समय का पाबंद बना देता है. यही आदत आपको लाइफ में आगे बढ़ने में मदद करती है.
वर्क कंप्लीशन
इंटर्नशिप के दौरान हर दिन सीनियर्स द्वारा मिलने वाले काम को उसी दिन पूरा करना, वो भी परफेक्शन के साथ. ये आदत कॉलेज के दिनों में नहीं होती. नौकरी शुरू करने से पहले इंटर्नशिप से आप किसी भी काम को समय पर पूरा करने की आदत सीख जाते हैं.
इंटर्नशिप के दौरान हर दिन सीनियर्स द्वारा मिलने वाले काम को उसी दिन पूरा करना, वो भी परफेक्शन के साथ. ये आदत कॉलेज के दिनों में नहीं होती. नौकरी शुरू करने से पहले इंटर्नशिप से आप किसी भी काम को समय पर पूरा करने की आदत सीख जाते हैं.
कम्युनिकेशन स्किल
नौकरी से पहले इंटर्नशिप करने से बातचीत करने का तरीक़ा आ जाता है. किससे किस तरह बात करनी है, कितनी बात करनी है, किस तरह के शब्दों का प्रयोग करना है आदि. आगे चलकर ये नौकरी में फ़ायदा पहुंचाता है.
नौकरी से पहले इंटर्नशिप करने से बातचीत करने का तरीक़ा आ जाता है. किससे किस तरह बात करनी है, कितनी बात करनी है, किस तरह के शब्दों का प्रयोग करना है आदि. आगे चलकर ये नौकरी में फ़ायदा पहुंचाता है.
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